पहले संस्करण की प्रस्तावना
भारतीय संगीत, खास तौर पर फिल्म संगीत में मोहम्मद रफी के महत्व और जनमानस पर उनके गाये गीतों के दीर्घकालिक असर से हर कोई वाकिफ है। पाश्र्व गायन के सरताज मोहम्मद रफी का महत्व आज केवल इसलिये नहीं है कि उन्होंने हजारों की संख्या में हर तरह के गीत गाये और अपने गीतों के जरिये जिन्दगी के विभिन्न पहलुओं को अभिव्यक्ति दी बल्कि इसलिये भी है कि सामाजिक, जातीय एवं धार्मिक संकीर्णताओं के इस दौर में वह इंसानियत, मानवीय मूल्यों, देशप्रेम, धर्मनिरपेक्षता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के एक मजबूत प्रतीक हैं। उनके गाये गीत नैतिक, सामाजिक एवं भावनात्मक अवमूल्यन के आज के दौर में जनमानस को इंसानी रिश्तों, नैतिकता और इंसानियत के लिये प्रेरित कर रहे हैं। रफी के गुजरने के कई साल बाद भी उनकी सुरीली आवाज़ का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। उनकी आवाज़ के प्रशंसकों और दीवानों की संख्या लाखों में है और ये केवल भारत में ही नहीं, दुनिया के हर देश में फैले हुए हैं। हम जैसे लोग जो मोहम्मद रफी और उनके समकालीन गायकों की सुरीली आवाजों के बीच ही पले-बढ़े हैं, उन्हें इस बात की कसक रहेगी कि अतीत की स्मृतियों को कायम रखने की किसी पहल के अभाव में आज की पीढ़ी बीते दिनों के अनगिनत सुरीले और मधुर गीतों से कटती जा रही है और अश्लील एवं बेतुके गानों, रीमिक्स, पश्चिमी और पाॅप संगीत के जाल में फँसती जा रही है। व्यावसायिकता और मुनाफा कमाने की होड़ में संगीत कम्पनियाँ आज रीमिक्स की प्रवृत्ति को बढ़ावा देकर भारतीय संगीत के सुरीलेपन को तो नष्ट कर ही रही हैं, नयी पीढ़ी को भी असली संगीत के आनन्द से वंचित कर रही हैं।यह दुर्भाग्य की बात है कि रफी के योगदानों को पहचानने, उन्हें समुचित महत्व देने और उनकी स्मृतियों को जीवित रखने की कोई गंभीर पहल नहीं हो रही हैµन सरकारी स्तर पर, न गैर-सरकारी स्तर पर और न उनके चाहने वालों के स्तर पर। सरकारी स्तर पर रफी के साथ अन्याय हुआ ही लेकिन संगीत प्रेमियों ने भी इस दिशा में कुछ नहीं किया। ऐसा तब है जब रफी के नाम पर देश के हर शहर-हर कस्बे में कोई न कोई संस्था है। कई बड़ी संस्थायें विदेशों में भी है। लेकिन दुर्भाग्य से इनमें से अधिकतर संस्थाओं का उद्देश्य रफी के जन्मदिन अथवा पुण्य तिथि के दिन संगीत कार्यक्रम करके पैसे कमाना ही रह गया है। अन्यथा क्या कारण है कि उनके गुजरने के 25 साल बाद भी उनकी स्मृति में कोई राष्ट्रीय स्मारक बनाने, गायन के प्रशिक्षण के लिये उनके नाम से कोई संगीत अकादमी बनाने अथवा उनके जीवन एवं गीतों के बारे में एक भी पुस्तक लिखने और प्रकाशित करने की जहमत न तो किसी संगीतप्रेमी और न ही किसी संस्था ने उठायी? इस पुस्तक को लिखने की शुरुआत इस कसक को लेकर हुई कि न केवल अपने समय बल्कि आने वाले सभी समय के इस महानतम गायक के बारे में ऐसी कोई पुस्तक नहीं है, जिसे पढ़कर उनके जीवन और गीतों के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारियाँ मिल सके। यह पुस्तक इसी कमी को दूर करने की एक विनम्र कोशिश का परिणाम है। इस पुस्तक को लिखने की शुरुआत आज से चार साल पहले हुई थी और काफी हद तक यह पुस्तक तैयार भी हो गयी थी, लेकिन कई कारणों से यह काफी विलंब से आपके सामने आ पायी है। अगर मोहम्मद रफी की जीवनी को लोगों के सामने लाने का कोई प्रयास पहले हुआ होता तो संभव है कि यह पुस्तक आपके पास नहीं होती। यह पुस्तक इस अभाव को भरने की कोशिश मात्रा है। हो सकता है कि इस पुस्तक को पढ़कर रफी के बारे में बहुत कुछ जानने वालों, उनके निकट रहे लोगों अथवा फिल्म संगीत के बारे में विशद जानकारियाँ रखने वाले लोगों को इस पुस्तक में कोई नयी चीज नहीं मिले लेकिन अगर यह पुस्तक रफी के हजारों चाहने वालों में से एक भी व्यक्ति के मन में इससे बेहतर पुस्तक लिखने की प्रेरणा जगा सके तो मैं अपनी कोशिश को सार्थक समझूँगा।
- विनोद विप्लव
जुलाई, 2007
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