Saturday, June 6, 2009

भड़ास4मीडिया पर मेरी आवाज सुनो की चर्चा

रफी की जीवनी लिखने का गौरव हिंदी पत्रकार को
ज बहुत कम पत्रकार एवं मीडियाकर्मी हैं जो सृजनात्‍मक लेखन को महत्‍व देते हैं और इसे अपने जीवन का ध्येय मानते हैं। इसके पीछे वजह है, लेखन से कुछ न हासिल होने की मानसिकता का व्याप्त होना। यह मानसिकता फली-फूली है बाजार के बढ़ते दबदबे के चलते। बावजूद इसके, कुछ पत्रकार आज भी नियमित लेखन में सक्रिय हैं। उनकी लेखनी से यदा-कदा बहुमूल्‍य रचनाओं का सृजन होता रहता है। ऐसे ही हैं विनोद विप्‍लव। रफी पर लिखी गई इनकी किताब संगीत प्रेमियों के लिए अमूल्‍य धरोहर बन गई है।
‘मेरी आवाज सुनो’ शीर्षक से प्रकाशित यह पुस्‍तक अमर गायक मोहम्‍मद रफी की जीवनी है। यह न केवल हिन्‍दी बल्कि किसी भी भाषा में इस महान गायक की पहली जीवनी है। मोहम्‍मद रफी की आवाज का जादू उनके गुजरने के करीब तीन दशक बाद भी करोड़ों संगीत प्रेमियों के दिल-ओ-दिमाग पर राज कर रहा है। पार्श्‍व गायन के सरताज मोहम्‍मद रफी का महत्‍व केवल इसलिए नहीं हैं कि उन्‍होंने हजारों की संख्‍या में हर तरह के गीत गाए और अपने गीतों के जरिये जीवन के वि‍भिन्‍न पहलुओं को अभिव्‍यक्ति दी, बल्कि इसलिए भी है कि सामाजिक, जातीय एवं धार्मिक संकीर्णताओं के इस दौर में वह इंसानियत, मानवीय मूल्‍यों, देशप्रेम, धर्मनिरपेक्षता एवं साम्‍प्रदायिक सदभाव के एक मजबूत प्रतीक हैं। उनके गाए गए गीत नैतिक, भावनात्‍मक एवं सामाजिक अवमूल्‍यन के आज के दौर में जनमानस को इंसानी रिश्‍तों, नैतिकता और इंसानियत के लिये प्रेरित कर रहे हैं।
यह दुर्भाग्‍य की बात है कि 31 जुलाई 1980 को मोहम्‍मद रफी के गुजरने के बाद से कई दशक बीत जाने के बाद भी इतने बड़े गायक के बारे में एक पुस्‍तक लिखने के लिए किसी ने जहमत नहीं उठायी। इस काम को आखिरकार एक पत्रकार ने, हिन्‍दी के पत्रकार ने अंजाम दिया। मोहम्‍मद रफी के चाहने वालों के बीच इस पुस्‍तक की मांग इस कदर हुई कि इसका पहला संस्‍करण कुछ दिनों में समाप्‍त हो गया। जनवरी 2008 में इसका दूसरा संस्‍करण निकाला गया। हिन्‍दी में प्रकाशित इस पुस्‍तक को तमिल, तेलुगू, बंगला, अंग्रेजी जैसी भाषाओं के बोलने-पढने वालों ने मंगवा कर पढ़ा। दिल्‍ली में आयोजित विश्‍व पुस्‍तक मेले, 2008 में रफी साहब की इस बायोग्राफी की धूम रही। इस पुस्‍तक ने बिक्री का रेकार्ड कायम किया।
विनोद विप्‍लव कहते हैं कि एक लेखक के लिये इससे बड़ा ईनाम व संतोष और क्या हो सकता है कि अपने जीवन के अंतिम चरण से गुजर रही एक महिला ने यह पुस्‍तक पढने के बाद टेलीफोन करके बताया कि इसे पढ़कर उसका जीवन धन्‍य हो गया। उसने कहा कि यह पुस्‍तक लिखकर आपने उन जैसे रफी प्रेमियों पर अहसान किया। मुक्‍तसर में रहने वाली अवतार कौर नाम की इस महिला ने दिल्‍ली में रहने वाली अपनी पुत्री के मार्फत यह पुस्‍तक मंगायी। यह पुस्‍तक पढ़कर इतनी प्रभावित हुई कि दिल्‍ली आई तो लेखक से मिलना उनके विशेष कार्यक्रम में शामिल था। वह लेखक के लिये रफी साहब के गाये पंजाबी गानों के तीन दुर्लभ कैसेटें लेकर आई थी। वे कैसेट लेखक के लिए सरकारी-गैर सरकारी अकादमियों से मिलने वाले बड़े से बड़े ईनामों से भी बढ़कर थी।
विनोद विप्‍लव के अनुसार अपने माता-पिता से दूर दूसरे शहर में कॉलेज के छात्रावास में रहकर पढाई करने वाला एक छात्र छुट्टियों में घर इसलिए नहीं गया क्‍योंकि उसे डर था कि वह घर चला गया तो कूरियर से मंगाई जाने वाली रफी की पुस्‍तक उसे न मिले। लखनउ में रहने वाले एक पुलिस कमिशनर को जिस दिन इस किताब के बारे में पता चला, उसी दिन अपने एक परिचित को दिल्‍ली भेजकर यह पुस्‍तक मंगाई। सूरीनाम में रहने वाले एक रफी प्रेमी ने तो यह पुस्‍तक हासिल करने के लिये दिल्‍ली आने का कार्यक्रम बना लिया। विनोद विप्लव ने ऐसे कई उदाहरण गिनाए। इंटरनेट, टेलीविजन, मोबाइल, सेटेलाइट रेडियो जैसे संचार माध्‍यमों के जमाने में जब हर दिन मनोरंजन और जानकारियों के एक से बढ़ कर एक माध्‍यम सामने आ रहे हैं और लोग पुस्‍तकों से कटते जा रहे हैं, वैसे समय में किसी पुस्‍तक के प्रति इस कदर की बेकरारी निश्चित तौर पर विस्‍मयकारी है।
आम तौर पर हिन्‍दी किताबों की अंग्रेजी के अखबारों में कम चर्चा होती है, लेकिन प्रमुख अखबार द हिन्दू ने इस पुस्‍तक के महत्‍व को देखते हुये इसके के बारे में दो बार आलेख प्रकाशित किए। इस बीच, http://www.indiaebooks.com नामक वेबसाइट पर यह पुस्‍तक पीडीएफ स्‍वरूप में उपलब्‍ध कराई गई है। जो भी लोग इस पुस्‍तक को अपने कम्‍प्‍यूटर पर डाउनलोड करना चाहते हैं या उसका प्रिंट लेना चाहते हैं, वे आगे दिए गए लिंक पर जा सकते हैं। इस पुस्‍तक को डाउनलोड करने से वेबसाइट पर रजिस्‍टर कराना होगा। संबंधित लिंक निम्‍नलिखित है–
http://www.indiaebooks.com/userpages/detail.aspx
मोहम्‍मद रफी के चाहने वालों की प्रमुख वेबसाइट http://www.mohdrafi.com पर ‘मेरी आवाज सुनो’ की चर्चा पढने के लिये निम्‍न लिंक्‍स पर-
mohdrafi.com - meri-awaaz-suno- second-edition-of-the-biography-of-mohammad-rafi

mohdrafi.com-meri-awaaz-suno-biography-of-legendary-singer-mohammad-rafi

टेलीविजन चैनलों पर 'मेरी आवाज सुनो' के विमोचन की खबरें देखने के लिये इन पर क्लिक करें--
http://in.youtube.com/watch?v=EPSbMSicOL8
http://in.youtube.com/watch?v=tDTZFnjp1w4

Above article was published on Bhadas4Media on Friday, 14 November 2008 01:26
To read the original posting please click here

No comments:

Post a Comment